“Influencer Trust Crisis: क्या हम अभी भी इंफ्लुएंसर्स पर भरोसा कर सकते हैं?”

पिछले कुछ सालों में सोशल मीडिया की दुनिया ने इंफ्लुएंसर्स का एक नया चेहरा देखा । वो इंफ्लुएंसर्स जो हमारे सोशल मीडिया की फीड में रोज़ नजर आते हैं, जिनकी स्टोरीज़, रील्स और रिव्यूज़ पर हम आंख मूंदकर पूरा भरोसा करते आ रहे हैं क्या उन पर भरोसा करना सही हैं ? क्या वो अब भी भरोसा करने लायक है ?

Influencers Exposing Social Media
Example of Influencer Trust Crisis | Image Source : Instagram

Influencer Trust Crisis: क्या हम अभी भी Influencers पर भरोसा करते हैं?” शुरुआत में जब सोशल मीडिया के जरिए इंफ्लुएंसर्स आए, तो उन्होंने एक नई दुनिया बनाई जो फिल्मी दुनिया के सितारों से से काफी अलग थी । वो आम जनता से जुड़े हुए थे और ऐसी विडिओ बनाया करते थे जिससे लोगों को उनपर भरोसा होने लगा था । वो हमारे जैसे दिखते थे, हमारी भाषा बोलते थे, और उन्हीं ब्रांड्स को यूज़ करते थे जो हम करते हैं । उनका और जनता का खास सबंध बन गया जिससे जनता उन्हे कोई दोस्त जैसे समझने लगी और उनकी राय मानने लगी ।

परंतु देखते ही देखते जनता का ये भरोसा टूटने लगा हैं । आज सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स की इस दुनिया में काफी विवाद देखने को मिल रहे हैं । यहाँ Influencers बिना सही जांच पड़ताल के गलत और बेकार सामग्री का प्रचार प्रसार कर रहे हैं । कुछ इंफ्लुएंसर्स fake giveaways कर रहे हैं, और कुछ तो अपने सोशल मीडिया फॉलोवर्स को जिम्मेदारी से देखने के बजाए एक संख्या मान रहे हैं । तो चलिए जानते है ऐसे कुछ इंफ्लुएंसर्स के बारे में जिन्होंने जनता का भरोसा तोड़ा हैं ।

Example 1: Bournvita vs. FoodPharmer (Revant Himatsingka)

Revant Himatsingka ने अपनी सोशल मीडिया पर Bournvita के शुगर कंटेंट को लेकर एक वीडियो शेयर किया, जिसमें उन्होंने प्रोडक्ट के द्वारा किए हेल्थ क्लेम्स को चुनौती दी । Bournvita ने उन्हें इन क्लाइम्स के लिए लीगल नोटिस भी भेजा जिससे विवाद काफी बढ़ गया । पाया गया की Bournvita ने अपने प्रोडक्ट को हेल्थ ड्रिंक बता कर कंज्यूमर्स को झूठ बेचा , जबकी उनके इस ड्रिंक मने शुगर कंटेंट काफी ज्यादा था जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं ।

Food Pharmer
Example of Influencer Trust Crisis | Image Source : Instagram

रेवंत का वीडियो एक जागरूकता का संकेत बना की जब हमारे रोज़मर्रा के प्रोडक्ट्स जिनका उपयोग हम सालों से करते आ रहें हैं वही हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं, Bournvita जैसी कंपनियां सालों से हमारे भरोसे के साथ खिलवाड़ कर रही हैं, तो इनको पैसे के लिए बेचने वाले Influencers पर हम कैसे विश्वास कर सकते हैं?

Example 2: Urfi Javed’s Fake Promotions

Urfi Javed ने ऐसे ब्रांड्स को प्रमोट किया जिनमें स्किनकेयर और वजन घटाने के प्रोडक्ट्स शामिल थे, इन प्रोडक्टस के दावे साइंटिफिकली सपोर्टेड नहीं थे । जब लोगों को इन प्रोडक्ट्स की असली क्वालिटी का पता चला, तो उन्होंने Urfi को ट्रोल करना शुरू कर दिया और उनकी विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाए ।

Urfi के लाखों फॉलोवर्स के भरोसा को बस एक संख्या मान उनके साथ धोखा किया । उन्होंने जनता को “मैजिक प्रोडक्ट्स” का भ्रम दिया, जो सिर्फ ब्रांड डील्स पाने और पैसे कमाने के लिए था । उर्फी के ऐसे प्रमोशन्स ने ऑडियंस को निराश किया और असली रिव्यू का महत्व घटा दिया ।

Example 3: CarryMinati’s Crypto Promotions

CarryMinati यानि अजय नागर ने अपने YouTube और Instagram पर एक क्रिप्टो ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म को प्रमोट किया था, जिसमें क्रिप्टो कॉइन्स की खरीदारी और बिक्री को “ईज़ी मनी” जैसा दिखाया गया था । बहुत से लोग इससे जुड़े और जैसे-जैसे प्लेटफॉर्म क्रैश हुआ और यूजर्स ने अपनी इन्वेस्टमेंट खो दी जिससे जनता को काफी नुकसान हुआ । कैरीमिनटी को अपनी इस क्रिप्टो ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म प्रमोशन पर काफी बैकलेश मिला । क्रिप्टो इन्वेस्टमेंट्स रिस्की होते हैं, लेकिन कैरीमिनटी ने इसे एक आसान और बिना रिस्क वाला ऑप्शन बता दिया, जिससे फॉलोअर्स को गलत जानकारी मिली ।

Carryminati
Example of Influencer Trust Crisis | Image Source : Instagram

Trust vs Trend: असली vs नकली का फर्क

एक survey के अनुसार 67% भारतीय ग्राहक अभी भी influencers की बातों को टेलिविज़न ads से ज़्यादा सच्चा और भरोसेमंद मानते हैं, लेकिन अब वही ग्राहक यह भी मानते हैं कि अब उनपर भरोसा करना उलझन में डाल देता हैं । इसलिए लोग अब इन इंफ्लुएंसर्स पर भरोसा करने से पहले जानना चाहते हैं की क्या ये सामग्री प्रमोट या प्रायोजित किया गया है? क्या इंफ्लुएंसर ने खुद इसका इस्तेमाल किया है ? क्या ये सामग्री बस पैसा कमाने का ज़रिया है?

तो अब क्या?

ग्राहकों को मिल रहे धोखे के बाद अब वक्त है एक बदलाव का जहाँ सत्यता ही असली पूंजी मानी जाए, जहाँ पारदर्शिता से ही भरोसा जीता जाए, जहाँ “influence” शब्द का मतलब होगा “जिम्मेदारी”, ना कि सिर्फ वाइरल होने और पैसे कमाने का एक जरिया । जनता को यह समझना होगा कि कोई भी चीज खरीदने से पहले उसकी स्वयं जांच करना आवश्यक हैं । किसी पर भी आँख मूँद कर भरोसा करना भारी पड़ सकता हैं ।

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